सबि धाणी मां
सबि धाणी मां मिळ फैमाळ रख्युंछ्या
कन क्वै अर किलै ऐ मिळ उबाळ धर्युं छ्या
बिजोरि भोरिकी मिळ बिजार संभलि
खत्युँ हुळू ऊ बिजार कब ऐ ख्याळ रख्युं छ्या
भंगेल्डु बनि कि मि डाळा तुक आज बैथ्यू
आज किलै इन मेर गौलि मां भटास हुयुं छा
भणनु छौं मि आज बल अपरी मा गुजरि
किलै कि मि आज भतेड़ा किकलाट कनु छा
मन्था न बल यख हैरी भैरी माळ छ्या पसारी
मुयाळी कैरि हमुल विन्कू बल ब्यापर कर्युं छा
यक्लग रैगे यख इनिसदनि अपड़ी पीड़ा खैरी
अप्डू मां रीस कि कन इन ऐ बिसात बिछी छा
सबि धाणी मां...................
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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