ये मदहोसी का आलम
ये मदहोसी का आलम और मेरी छटपटहट
एक दुजे में ना कहीं खो जाये हम
ना तुझे होश है ना मुझे होश है
कहीं हम पर कोई दोष ना लगा जाये
चल रहने दे इतना करीब और आज आने दे मुझे
किसी पल और हम करीब हो जाएंगे
(हम भी दिग्गी की तरह बदनाम कहीं ) ..... २
लोगों की गलियारों में कंही हो ना जाएँ जी
होश में आ जाओ .......होश में आ जाओ
ये मदहोसी का आलम........................
अपने में हम गुम है तू कहीं मै कंही हूँ
ना तू राधा है ना मोहन नहीं मैं
पर्दे में रहने दो ये रिश्ता हमारा
ये जग दो धारी तलवार है हम कमसिन कली हैं
लगता नहीं ये हमारी गली है
होश में आ जाओ .......होश में आ जाओ
ये मदहोसी का आलम........................
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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