ADD

ऐ दशा मेरी


ऐ दशा मेरी

ना दशा सुधरी ना दिशा मिली
ऐ ऐसी कैसी मुझे सजा मिली
मुद्रा आसन के कितने ही प्रकार हैं
सब उपाधि स्तर हद के अधिकार है

पास पड़ा था मार्ग सफलता का
पर हालत अब भी मेरी बदहाल है
वर्णन गुण इसके गा गा थक जाऊं मैं
गंतव्य आते ही तुरंत उत्तर जाऊं मैं

परिस्थिति पर सब अब भी निर्धारित है
ऐ कैसी गणना ये किस पर आधारित है
चूल्हा जब भी जलता है राख हो ही बुझता है
किस्मत मेरी ऐसी ही लिखी
( बस जलता जा और बुझता जा ) ..... ३

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ