कल सेल्फी ली थी
कल सेल्फी ली थी
माँ की मैंने
खुश थी वो अनपढ़
ना जाने किस बात पर
एक पल हंसी थी वो
ना जाने क्यों वो कल खुलकर
पूछा मैंने आज
जब बैठी उदास उस बूढी माँ से
कहा उसने
अपनों से मिली थी मैं ऐसे ही
एक बरस पहले
कहा था बेटों बेटियों ने बड़े प्यार से
हैप्पी मदर्स डे माँ
फिर उसी दिन के इंतजार में
बैठी हूँ फिर आज इसी आस मैं
उस हंसी के लिये
एक बरस फिर लगेंगे
उनसे मिलने एक ही घर में
अपनों के इन्तजार में
बस आंखें छलक गयी मेरी
कल सेल्फी ली थी
माँ की मैंने
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी


 
 
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