दुनिया तू मिते भुलिगे रै
दुनिया तू मिते भुलिगे रै
मि बि त्विते भुलिगियूं ... २
दुनिया तू मिते भुलिगे रै
लमडी फूटी कपाल मेरु
छूति खुति जूति तैलू स्यारू
दौड़ी नि ऐई कुई ऐ जन ऐ सैलु
घाम जनि खड़ाखडी मि रैगियूं
अपड़ी मां इतगा गिजी रै तू
अपड़ों दगड इतगा बिजि रै तू
तू मिते बिसरि गे रै
मि त्विते बिसरिगियूं
आँखा अब बोलण लग्यां रै
हर्ष कि दुःख त्वेते जोड़ण लग्यां रै
जान कैन कन पौद जमैई हमन
लगै बढ़े वैते सबि बिसरण लग्यां रै
रति अब सिण लगि रै
गैणा छुई जून दग्डी लगि रै
कैते रैबार पाठ्यांण हमन
यखुला छ यखुली रैगे जिबन
दुनिया तू मिते भुलिगे रै
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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