कभी लगता है ऐसे
कभी लगता है ऐसे
कोई ढूंढे मुझे भी
पढ़कर कभी कोई
(कोई खोजे मुझे भी )... २
(कभी लगता है ऐसे ) ... २
बिखरा पड़ा हूँ
उलझा पड़ा हूँ
राहों में अकेला
पन्नों जैसा उड़ता पड़ा हूँ
(कभी आये कोई तो )... २
(कभी लगता है ऐसे ) ... २
मेरा ही घर है
मुझ से जुदा है
मेरा ही वजूद है .
खुद रूठा पड़ा है
(कभी कोई मनाये कभी तो )... २
(कभी लगता है ऐसे ) ... २
थोड़ी फुर्सत तो दे दो
थोड़ा कुछ और वक्त दे दो
गिनता पड़ा हूँ
इन्तजार बैठा पड़ा हूँ
(कभी कोई आस दिलाये कभी तो )... २
(कभी लगता है ऐसे ) ... २
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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