इखलु मि
कै दिन साल बिटिनि
अपडों ते नि देखि
कन कब हिटलू ऐ ज्यू
हिट सरासारी जौलौं
कनि होली वा
मेरी छज्जा तिबारी
कब मिळालो वों से
झणी क़्या बात होली
कब धारा वों आंख्यों कु
खारो मीठो पाणी प्युंलों
वों से अपड़ी तिस बुझेकि
कब गला भेंट दियोंलों
झणी कब बिटि नि देखि मिन
ऊ गलडियों मां फूल्यों लाल बुरांश
झणी कब बिटि नि सुणि मिन
ज्यू बंसदी वा हिलांश कि आवाज
प्याज अर कंडली की भुज्जी
झणिक बटेक वों हातों नि खायी
छंछ्या पल्यो बाड़ी, प्याज
यों दगडी आणि वों कि बी याद
अब मेरी प्यारी क्या कन होली
बाजूबंद, थड्या, चौंफला ऊ गीत
थाडो दगडी नचदा नचदा वा
क्या मिथे बी याद कन होली
सारयूं मा काम काज, रोपणी
थके कि छैलू मा वा बैठी होली
प्याज पिरान्यां कोदा कु रोटु
गिची डाली मि याद कन होली
कब जैकी मी अपड़ी आंखोंल
वा रौंतेलि स्वाणी मुखड़ी द्यखलो
उजाड़ विराणु सी यु परदेश माँ
अब यख इखलु नि रयेंदु
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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