आख्यूं- मा अगास
आख्यूं- मा अगास
धरा मां खुटा
फिर बि नि ऐ हत मां
कुच बि ना
जित जोलों
हैर जोलों
वै का बाद क्या पोलों
कुच बि ना
हैंसि खुसि घड़ेक
चखुलों कु च्युचांण
कन्दुड़ु सुणद समझी ना
कुच बि ना
कुछ न कुछ वैल
त्वैथैं बताई होलु
जिकोडी न हाल त्वै लगेई होलु
कुच बि ना
हे बगत ना हिट यनि
जरा बैठी ले दुई घड़ेक
नि बैठी वो हिटदा वैल बोलि
कुच बि ना
सिकसेरी ना कैर
जरा धैरी ले तू धीर
नि धैरी क्या पाई तिल
कुच बि ना
आख्यूं- मा अगास
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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