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परसि भतेक




परसि भतेक
परसि भतेक  खुद तेरी
झुणमुंणाट बरखा सी
गडग़ड़ाट द्वि बुन्दा
सुरुक ऐई माया तेर  थमै गेई
परसि भतेक  खुद तेरी.......

स्वीलि घाम जनि
मि ते डमै गेई
झप्प दिल मां ऐकी  तू
ज्यू मां समै गेई
परसि भतेक  खुद तेरी.......

छुई तेर तू मैसे वा
यन लगे गेई
सुरुक जिकुड़िळ बोती माया
तू वैमा पौद जमै गेई
परसि भतेक  खुद तेरी.......

क्या हुनु होलो अचकल मिते
किलै गडबडानदु  जांदू  छु मि
सुरुक ऐकि मि ते तू
म्यारू ठौर बाते गेई

परसि भतेक  खुद तेरी.......

उठि झसाक फिर  आज
तू मेर गौलि आज मले जै ई
परसि भतेक  खुद तेरी
क्या क्या मिते बतै समजै  गेई
परसि भतेक  खुद तेरी.......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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