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भाग२१घपरोल

भाग२१ 

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमती जी," यू सुबेर - सुबेर थैला कख खुणि बंधेणु । अर या सूट- बूट भी धरेणी च।"
श्रीमान जी," ब्यौ मा जाणु छौं।"
श्रीमती," कैक ब्यौ मा ? मिन त क्वी कार्ड नि द्याख।"
श्रीमान जी," अजक्याल। कार्ड कू छापणू। फोन आई छ्याई मिखुणी।"
श्रीमती जी," पर ब्यौ कैकु च?"
श्रीमाान जी," म्यार स्यालू क च ड्यारदून मा?"
श्रीमती जी," पर बुबा जी न मिते त बताई ही नि। अर न बुलाई। झूठ बुना छवा। जरुर वीं पातर आपर पुष्पा बौ क भाई क ब्यौ मा जाणा ह्वैल।"
श्रीमान जी," त्यार कपाल। मिते ही बुल्याई ससुरा जीन। ब्वाल सरकारी आदेश च बल कि पचास से जादा लोग बरात मा नि जै सकद। त त्यार नम्बर नि च बल पचास मा।"
श्रीमती," हैं। म्यार नम्बर नि । अर तुमार नम्बर छा। मि फोन करदू अबि ।'
श्रीमान जी," क्वी फायदा नि। त्यार नम्बर ब्लाक कैरि याल वून। बुना छ्याई कि विंक गिचु सुबेर बिटिक शाम तक बंद ही नि हुंद त सर्रा ब्यौ मा विन हम मि क्या बोलू " कि बकबक कैरिक थूक ही फिकणू रैन। किले कि तू बिण्डी देर म्वालू ( मास्क ) भी नि पैरिद।' ये वास्त त्यार नाम कट।"
श्रीमती जी," त तुम भी नि जाव । जब मिते ही नि बुलाई त।"
श्रीमान जी," मि नि जौल त अगलि नम्बर इकावनो पुष्पा बौ क च म्यार बाद।वीं ते बुले लिण वून ब्यौ मा।"
श्रीमती जी," फिर ठीक च। तुमि जाव। मिन भी नि बुलाण आपर बुबा तें जब म्यार धर्मूं क ब्यौ ह्वाल।"
श्रीमान जी," या बात। बाय - बाय। मि त स्यालूक ब्यौ मा जाणू छों। पर त्यार भुला क न । पुष्पा बौ क भाई क ब्यौ मा।"
श्रीमती जी," हैं। रुको मि भी आणू ।"
श्रीमान जी," त्यार नम्बर नि। म्यार बाद च इकावनो। हे हे ...मिन झूठ बोलि.".

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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