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भाग२२घपरोल

भाग२२  

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमान जी," त्यार दिमाग खराब च क्या। भाई क ब्यौं मा जाणा खुणि पच्चीस हजार क लंहगा ल्या तिन। यूतक मा त म्यार ब्यौ ह्वै ग्याई छाई गौं मा ।"
श्रीमती जी," ल्या मि दिंदू पचास हजार। पकड़ो। म्यार लड़िक कमाणू। अर कैरि क दिखाव आपरु ब्यौ आज पचास हजार मा भी। बक्कि बात बणाण छन। म्यार क्या मि विदेश चलि जौलु लड़िक ब्वारी क दगड़।"
श्रीमान जी," हैं मि त ...
( श्रीमती जी पचास हजार फिंकिक किचन क तरफ ।"
( लिख्वार:- विश्वेश्वर सिलस्वाल)

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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