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भाग ८ घपरोल

भाग  ८  

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

" नाति-ननो वार्तालाप "
सुबेर -सुबेर सैर करद दफै नाति पूछणू," ननाजी कति कोठ्यूं भैर लिख्यूं ' कुत्तों से सावधान' । यख आदिम नि रैंद क्या? कुत्ता रैंदान" ।
" हाँ बेटा! जख गरीब आदिम नि जे सकदू बगैर वूंक मर्जि वख कुत्ता ही रैंदान " नना नाति तैं समझाणू।

"सत् वचन"
साब आज या बात साबित ह्वै ग्याइ। मरदो कामयाब हुणो पेथर पत्नियों हाथ हूंद।
सत् वचन माराज।
मि इतना अकल खर्च कैरिक कविता, कहानी, गीत, हाइकु लिखदू । त गिणती कारो तो दस - बारा आदिम लाइक- कमैण्ट करदान।
साब मिन आज एक फोटो डालि आपर अर्द्धांगिनी दगड़ । गज़ब ह्वै ग्या साब।
द्वी मिन्ट मा पचास लाइक अर् कमैंट।
सचि बात साब। मर्द कि कामयाबी मां जनानि कू हाथ जरुर हूंद।
सत्य वचन।

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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