" आजो गढवालि चुटकला" "
जनानि," तुमारी अकल घास चरण जाईं कि अक्ल मा पत्थर पुड्यां जू हमेशा आपरि पुष्पा बौ ऐथर पेथर चकराण्या रौंदा" ।कजै," अरे! अक्ल भी वखि जालि चरणु खुणि जख हैरि भैरि घास व्हाव।सुख्यूं डाऽल पर क्या खाणु अक्लान भी। जन तू छै।'जनानि," हैं "
जनानि," तुमारी अकल घास चरण जाईं कि अक्ल मा पत्थर पुड्यां जू हमेशा आपरि पुष्पा बौ ऐथर पेथर चकराण्या रौंदा" ।
कजै," अरे! अक्ल भी वखि जालि चरणु खुणि जख हैरि भैरि घास व्हाव।सुख्यूं डाऽल पर क्या खाणु अक्लान भी। जन तू छै।'
जनानि," हैं "
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