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भाग१९ घपरोल

भाग१९ 

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमान जी," यू रुठ्वूल इक्हाड़ू किले बण्याइ। इक्कू तरफ फुक्यूं च । हैंक तरफ काचि च।'
श्रीमती," तुम पर क्या फरक पुणु। जन तुम छाव इक्हाड़ू वनि रुठ्वूल भी च। तुम तें भी त भुगतणू छों मि पच्चीस साल बिटिक इक्हाड़ू ही। चुप खै ल्याव । जादा नखरायट नि कारा। जन मि नि करदू ।"
श्रीमान जी,"हें"

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)


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