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भाग२०घपरोल

भाग२० 

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमती, " स्यू द्याखदि बगल मा गुप्ता जी लम्बी नै कार मा घुमाणा छन आपरि जनानि तें। एक तुम छवा कि सेैकेन्ड हैण्ड मारुति आठ सौ मा ही धक्का मराणा रौंदा मि मा। "
श्रीमान," अरे भाई वू त घूस खांद ।जहाज भी ले सकदू "।
श्रीमती," कन बिजोग प्वाड़ यूंक अकल मा। छा त इक्कू आफिस मा तुम द्वी क द्वी। कन पितलि गिच कैरिक बुना " वू त घूस खांद" । अरे! वू घूस खांद त तुम मूस ते खै सकद छाव ।मिते बस अब नै आई टेन चयेणी बस।"
श्रीमान ," हे भगवान कख जौं मि अब।'
श्रीमती," जखि जांदा। निथर मिन मैत चलि जाण।'
( घपरोल अबि भी चन्नू हि लग्यूं)

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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