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भाग ३८ घपरोल

भाग ३८

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमती जी,"एक बात मेरि समझ मा नि आई. तुम तीन टमाटर अर तीन प्याज किले लाव वे सबजि डब्बा मा ब्यालि।तुमार दिमाग काम करदु छा! कि ना।
तीन टिक्कड़ कैतें दिंदान ।"
श्रीमान जी," जादा नि बोल। मुण्ड खरड़ि सुदि नि ह्वाई मेरि। त्वै ते कबि भूलि सकद छौं मि। तेरि शक्ल याद कैरिक अर त्यार नाम लेकि त मिन तीन प्याज अर तीन टमाटर पैक करैन।"
फिर या महंगे बि जादा च ।"
श्रीमती जी," मि क्या भूतणी छौं ? । वा तुमारी पातर पुष्पा बौ ह्वैलि भूत। ज्वा तुम पर हवा भुनि रैंद रोज । कख च वू ताछिलो झाड़ू। मि अबि तुमार अर तुमारि बौ क भूत भगांदू।"
श्रीमान जी," मिन त कुछ नि बोलि। बस इतगु ब्वाल कि त्वै तै याद कैरिक तीन- तीन आइटम ल्यूं . .

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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