ADD

भाग ३९ घपरोल

भाग ३९

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमती जी," तुम आफ खुणि त थ्री पीस सूट लाव अर मि खुणि टू पीस । तुमार दस हजारो अर म्यार सूट पाँच हजार क। धरमू म्यार लड़िक बि त च। मि खुणि साड़ी पाँच हजार से कम की नि लाण बस ।"
श्रीमान जी," क्वी जरुरत नि । अब घपरोल नि कैर । जादा ही जलन हुणि त । तू म्यार थ्री पीस सूट पैरि लेन बरात मा अर मि त्यार टू पीस।"
श्रीमती जी," हैं ! कन बिजोग प्वाड़ । इतना कंजूंस कि रुप्या बचाणो चक्कर मा म्यार जनाना सूट पेरणा खुणि तैयार।"
श्रीमान जी ," मिन त कुछ नि बोलि। त्यार धरमू ब्यौ च त कुछ जादा हि पधानि बणि छै।
श्रीमती जी," फिर तुमन त्यार धरमू ब्वाल। म्यार वू दहेज मा ल्याऊं क्या? हमार धरमू नि बोलि सकदा। मि त वैक ब्यौ तक रुक्यूं छौं मि न त द्वार बाटो बाद हि पिताजी दगड़ मैत चलि जाण वेदिन हि।"
श्रीमान जी," जादा नखराट नि कैर। बत्तीस साल बिटी सुणु छौं । से डाॅयलाग "मिन मैत चलि जाण" ।आज तक त ग्याई नि छै।"
श्रीमती जी," अच्छा ,मि अबि फोन मिलांदु आपर पिताजी खुणि।"
श्रीमान जी," कैरि लि फून । बुबा खुणि करदि या ददा खुणि । मि क्वी डरदू छौं । मिन त कुछ नि बोलि।"

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ