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भाग ६०घपरोल

भाग ६०

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमान जी," चल भै। आपर थैला तैयार कैरि दे। रातिक बस से जाण देहरादून -मसूरी"।
श्रीमती जी," मसूरी। तुम होश मा छवा कि बेहोश। लड़िक-ब्वारि खुणि च होटल मा बुकिग मसूरी कि तुम खुणि।"
श्रीमान जी,"मालूम च मै।निथर त्यार दगड़ .. जाण ।
धरमू तै पूछि छ्याइ मिन. बल द्वी झणो नै कम्पनी ज्वाइन करीं त अबि ट्रेनिंग चलणि ।छुट्टी नि बल ।
त मिन स्वाच हम हि चलि जौला."
श्रीमती जी,"हम हि चलि जौला, ये मेरी पितली गिच्ची। तुम खुणि छन म्यार भुलाक होटल मसूरी पर कमरा बुकिंग रुप्या खर्च कर्यां! हैं । वू त वैक आपर भणजूं खुणि।"
श्रीमान जी," जादा नि बोलि। ठीक त च ।वापसी मा मि त्वतै मैत हि छोड़ि ओलु हमेशा खुणि। निथर रोज -रोज धमकी दिणी रैंद बत्तीस साल बिटीक कि "मि मैत जाणू छौं।"
श्रीमती जी," मि त नि जाणू अबि। बच्चों क ट्रेनिंग पूरी ह्वै जालि तबि जोलु।टैम पर खाणि पीणी बि त चयेंद."
श्रीमान जी," वांक चिंता पुष्पा बौ ते पेलि छै. तबि त भाण्ड मजाणो अर खाणो बणान खुणि जया मैड ढूंढि छै बिचारी पुष्पा बौ क ।
पर तिन त वा बि बितगे दै.
श्रीमती जी," बगैर वीं पातर पुष्पा बौ नौं लियां, न त तुमार दिन शुरु हुंद अर न राति निंद आंदि।"
श्रीमान जी," ब्यालि फौजी रामसू भैजी छुट्टी आंयू द्वी मैना क। तैबरी बौ से इन उनाक खबर बि नि मिलण। खैर मिन त कुछ नि बोलि. .
श्रीमती जी," अब नि बुलण्यू वीं पुष्पा बौक अदरक गिलास भौरिक गिलास पीणो ज्यू हुणू।"

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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