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भाग ५९घपरोल

भाग ५९

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमती जी," तुमार लापता कख च हुयूं। पिताजी क फून आयूं छै।"
श्रीमान जी," क्या परेशानी च वे बुढ्या ते. ट्वपलि त नि छुट्टी ग्या वैक. परसी त यखन धरमूक ब्यौ मान गै।"
श्रीमती जी,"परेशानी त तुम ते हुंद। जरा म्यार मैत बिटी कैकु फून आंदू त।"
श्रीमान जी," क्या हकलाणू छ्याइ बुड्या?"
श्रीमती जी," बल हैणिमून खुणि अचकाल पहाड़ भौत बढिया मौसम च ।"
श्रीमान जी,"त्यार दिमाग खराब च कि वे बुढ्या पर जवानी चड़ी । ये बुढाप मा कू मणांद हनीमून । ढंग से त बोल "हैणिमून "बल।"
श्रीमती जी," दिमाग मा त तुमार पुण्या पत्थर।हमते बुलाणा छन क्या. धरमू अर ब्वारी तैं बुलाणा छन। देहरादून -मसूरी। मि क्य पता हैणिमून व्हाइ कि क्य। कौन से तुमन घुमै मि ब्यौक बाद।"
श्रीमान जी," त्वी त छै वख घुमाणो जोग। घास काटणू त अक्ल हि नि छै।"
श्रीमती जी," वा तुमार बौ त अबि तक सुणाणि रैंद कथा चटकारा मारिक. "मै तो कश्मीर गई थी हैणिमून पर. डलझील पर घूमी शिकार पर।जबकि वींक ब्यौ अर म्यारु ब्यौ ऎथर पेथर ह्वै छ्याइ इक्कू मैनस."
श्रीमान जी," पुष्पा बौ क्वि झूठ बुलदी। रामसू भैजिक पोस्टिंग छै वक कश्मीर मा. त बौ नौकरी पर चलि गै छे ब्यौ हुंद ही"
श्रीमती जी,"बस जादा तारीफ नि कारा वीं पातर पुष्पा बौ क। धरमू अर ब्वरी तैं पूछिक पिताजी खुणि हाँ या न बोली देन . म्यार भुला गढवाल विकास निगम कू कमरा बुक करे द्य्यालू मसूरी मा. वैक भौत जान पैछाण च ."
श्रीमान जी,"तू नि पूछि सकिद ब्वारी तैं।"
श्रीमती जी," पता नि वीं तुमार पातर पुष्पा बौन . . . क्या भकले ब्वारी वीं भाण्ड मजाणि वालिक चक्कर मा कि ब्वारी कुछ नराज लगणि।"
श्रीमान जी,"ब्वारी न बेटी समझिक बात कैर. अर बात कर दफै पुष्पा बौक भूत दिमाग से उतारिल त जरुर प्यार से बात काराल. निथर. .
श्रीमती जी," निथर क्य। हैणिमून बिटी जनि वापस आल यी द्वी. मिन वे दिन ही मैत चलि जाण. देखि लेन तुम।"
श्रीमान जी," बत्तीस साल ह्वे गेन सुणद-सुणद।
अबि चलि जा। पर मिन त कुछ नि ब्वाल. . .

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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