भाग २
सुबेर-सुबेर घपरोल
" द ब्वाल दा"
कजाणि," म्यार भैजी थें रामलीला मा बढिया रोल दिले दैन अबक बार" ।कजै," दिले क्या? देई याल जी । 'कजाणि," क्यांक रोल?"कजै,'" रावण" ।कजाणि(खुश ह्वैकि)," अरे ! वाह। इतना बडू रोल'।कजै," वू त जब मीन सई बात ब्वाल कि मेरी जनानि क शकल सूरपनखा जन च। तब्बि त।( कजाणि सोच मा हैंसू कि मुण्ड फोड़ू)
विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)समाज व साहित्य सेवा।मूल निवास -कड़थी,लैंसडाउन तहसील,पौड़ी गढवाल (उत्तराखण्ड )
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