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भाग ६२ घपरोल

भाग ६२

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमान जी," ले ह्वै गेै, त्यार मन की बात।अब बजौ ताली।"
श्रीमती जी,"कनु: क्य व्हाई? तुमार सि आंखा कपाल किले चढायाँ।"
श्रीमान जी,"पुष्पा बौ बि नि जाणि देहरादून -मसूरी घुमणौ।ब्वारिन बतै अबि ।टिकट फिर कैंसिल। तेरी अपशगुन्या जीभ।!
श्रीमती जी,'"जादा नि ब्वाला। मिन वीं तुमार पुष्पा बौ क भि अर तुमार बि बरमड़ कचै दिण कुटलौ न जू म्यार मैत बिटी ल्यायूं गमलौ खुरछणा। मिन क्य कार??
मिन कार तुमतैं जाणू मना। मिन यू ही त ब्वाल कि वीं पातर दगड़ नि जाणौ । अर हवै जाज मा मिते डैर लगदी।"
श्रीमान जी,"यू ही त। पुष्पा बौं न ब्वाल कि "धरमूक ब्वै क दगड़ कतै नि जाणू। हाँ धरमूक बुबा अर हम द्वी झण तैयार छौं!"
श्रीमती जी,"मिते सब पता चलि गै। किले नि जाणि। तुम क्या समझदवा कि तुम सचि बात नि बतैल त मिते पता ही नि चाललु।"
श्रीमान जी,"मिन एक धौलकी ठोकि दिण तैपर. क्या छुपै मिन।"
श्रीमती जी,"तुमारी पुटकी मा क्या- क्या छुपै रिंगणू च। आपर वीं पातर पुष्पा बौ नि जाणो कसूर बि मिफर ही" हैं!" श्रीमती बीना नेगी भुलिन सब बतै याल मिते । किले नि सरकणि वा घार बिटी।
श्रीमान जी," गजब कू नेटवर्क च त्यार भै. जू त्यार रैबारी त्व तै सब घारमा खबर दे दिंदान."
श्रीमती जी," अब ऐथर -ऐथर इन ब्रैकिंग न्यूज दिलू कि तुमार पुष्पा बौ अर तुमार टांगड़ बि थर-थर कांपाऽल।"
श्रीमान जी,"क्या ब्रैकिंग! कि मैत जाणि छै तू। पर मिन त कुछ बि नि बोलि . . .

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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