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भाग ६३घपरोल

भाग ६३

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमान जी,"क्या ब्रैकिंग न्यूज दीणी छै तो ब्यालि।"
श्रीमती जी,"क्या रात भर निंद नि आई. जू बगैर चाय पियां भि उठ-पौड़ शुरु ह्वै ग्याई।"
वांक दें त बुल्दा कि ,"बगैर चा पियां म्यार पुटक बि नि खुलदू।"
श्रीमान जी,"ज्यादा बकबास नि कैर। आज म्यार पुटकू सूखि ग्याइ। ब्याल तिन वू पतानि कन ब्रैड पक्वाड़ खलेन। पर क्या ब्रैकिंग न्यूज बताण चाणि छै तू। बुन्नि छै कि पुष्पा बौ अर मेरे पैर से जमीन खिसक जायेगी।"
श्रीनती जी,"जादा जोर से नि ब्वाला। धरमू अर वैक ब्वारि सुबैर ही सैनि रात भर त वूंक विडियो काल चलणा रैंदान वर्क फ्रोम होम का चक्कर मा लेपटोप पर। राति द्वी बजि त धरमू किचन मा काफ़ी बणाणू छ्याई।"
श्रीमान जी," वूंक छोड़। तू इन बतौ कि क्या बतौण चांदि। अर वा तेरी खबरी कल्पना नेगी भुलि क्वा च?
श्रीमती जी,"अब वीं तै बि भूलि ग्याव। वा हमार पुराणी पड़ोसी छै वीं तुमार पुष्पा बौ क किरायेदार. द्वी साल पैलि ।विन त बतै सर्रा कानि. परसी छह तारिख रावत भैजिक लड़िक क ब्यौ मा।"
श्रीमान जी,"अरे वा। बड़ी मुश्किल से खालि करै मिन पुष्पा बौक कमरा वी मान। परेशान कर्यूं छ्याइ वींक पुष्पा बौ ते। "
श्रीमती जी,"हाँ। अब धीरे-धीरे सब याद ओलू। रात क्या दिन मा भि तारा नज़र आऽला तुमते अर तुमार वी पुष्पा बौ तें. जादा ही सुरक्षा गार्ड बणै रौंदा तुम।"
श्रीमान जी,"जादा नि घुमो.बता क्या ब्वाल वीं नेगी भुलिन।"
श्रीमती जी," आफिक बतौल जैबरीं वा पातर पुष्पा बौ अर जिठाजी सामणि नज़र आला अर तुम भि वखिम ह्वैल।तब सुणौल मि तुमार . .
छोड़ो.
श्रीमान जी," दिमाग खराब च त्यार. वू रामसू फौजी भैजि वनि गरम दिमाग कू च। सुदि सुणै सुणाई छ्वीं इना उना नि कैर."
श्रीमती जी,"सुणि सुणाई नि। कोर्ट की मोहर च. मिन त जनि सुण त म्यार ज्यू त ब्वाल कि वैबरी मैत चलि जौं पर तुमार वीं पातर पुष्पा बौ क खबर लियां बगैर नि जाणा मि।
श्रीमान जी,"त्यार मुण्डो कपाऽल. लुखु क भकलोण मा आंदि.
अब म्यार पुष्पा बौक गिलास भौरिक अदरको चा भि बंद करैल तू।
अबि चलि जा मैत. .
पर बात आखिर क्या च?
मिन त कुछ नि ब्वाल।

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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