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"बैशाखु "

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"बैशाखु "

"बैशाखु "
बैशाखु आपर छज्जा मा बैठिक सिलोगी धारो रस्ता तरफां इकटक दिखणू छाइ अर् वे दिन तें कुसणू छाइ जैदिन वैन आपर सबि बाखर, ढिबर बेचिक आपरु बारह पास लड़िक तें होटल मैनेजमेंटो कोर्स कराणो दिल्ली भेजि छाइ।ब्याटा कमलू कोर्स पूरु करणो बाद कै फाइव स्टार होटल मा नौकरी लगि अर् कुछ साल बाद वू विदेश न्यूजीलैण्ड चलि ग्याइ।
कमलू जब दिल्ली मा छ्याइ त आपरु छुटु भुला रघु तें भी वखि आपर दगड़ पढाणो खुणि ली ग्याइ छे।बेटा रघु भी पढण मा होशियार निकल अर् वैन एम०बी०ए कोर्स कार। कमलू आपरु भुला रघु तें भी कुछ टैम बाद आपर ही दगड़ न्यूजीलैण्ड लि ग्याई।
विदेश जाण से पेलि द्वी दिनों खुणि जरुर वू द्वी भै ब्वै- बुबा तें मिलणो गौं आयी पर जल्द वापस अौणो वचन देकि चलि गैन ।
गौंक लुखुन बेशाखु क बच्चों भौत तारिफ़ कैरि । गौं मा दावत भी उड़ै ग्याइ वे दिन। बेशाखु अर वैकि घर्वालि अषाढी भौत खुश छ्याइ।कुछ लोग जल्तमार भी छै जू दावत मा नि ऐन ।
खैर,साब। बरस बितणो मा क्या समै लगदू।दस साल तक आपरु लड़िखो सारु लगिक बैशाखु जनानि अषाढी भी एक दिन स्वर्ग पहुंचि ग्याइ।
अब बैशाखु यखुलि मनेरगा ध्याड़िन आपर पुटुक पालणू छ्याइ। लेकिन उम्रदराज हुणो से वेखुणि अब छज्जा उतरण भी मुश्किल ह्वै ग्याइ।
अपणि ब्वै आषाढ़ी मुरण से कुछ दिन पेलि कमलू न गौं कै आदिम खुणि फोन कैरिक बतै कि वैन न्यूजीलैंड मा एक बड़ू होटल खोलि याल अर् एक अंग्रेजण दगड़ ब्यौ भी कैरि याल। अब वूंक कबि भी गौं आण मुश्किल ही च।
बैशाखुक चचेरा भैक लड़िक दिव्यांग रामसू वैक बगलो कुड़ि मा ही रौंद । त वैक नौन्याल ही सुबेर शाम थाकुल पर द्वी रुठल - भुज्या छज्जा मा धैरि जांदान ।वू भी ये वास्ता कि गौं प्रधान मनेरगा अध्धा ध्याड़ि वैक नौं से वूं ते ही दे जांद। हाँ अंगूठा जरुर वैक लगांद छाइ। रामसू न आपर इकलोता बेटा रामजीराम तें सिर्फ आठवीं तक पढै अर् आपर दगड़ ही ध्याड़ी मजदूरी पर लगै याल छै।
बैशाखु अब यू ही सोचद कि अगर वैन भी आपर नौनियालूं तें कम पढै हुंद त कम से कम वू आज म्यार बगलम गौं मा ही त रैंद। भौत गलति कार वैन जू वूं तैं मिन बडि इस्कूल भैजिक बड़ आदिम बणैन अर् वू चखुला सि फुर्र व्है गैन।
मि आज भी रोज ये छज्जा मा बैठिक द्वी टिकड़ू खुणि तरसणू रोंद दूसरो भर्वास अर वैक आँख्यू बिटी अपणि जनानि अषाढी तें याद कैरिक टप- टप आँसू बौगण शुरु ह्वै गैन ।

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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