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भाग१६घपरोल

भाग१६  

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" "

श्रीमती," सी सात बजि गैन। अर तुम फसोरिक सियां छा। खड़ू व्है जाव। चा धरिं सिखम।'
श्रीमान," यार सिण दी अबि । फुण्ड लिजा तें चा।"
श्रीमती," कन बिजोग प्वाड़। स्यू पड़ोस क देशी बुड्या नब्बे सालू क सुबेर चार बजि नये धुये पूजा पाठ कैरिक आज मौरि बि ग्याई अबि। एक तुम छाव कि सात बजि भी टूं टांय। कुछ त सिखो वे बुढ्या मान स्यू भग्यान व्है ग्याई आज "
श्रीमान,". हैं। अबे मिते मुरण थोड़ा च !"

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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