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भाग ८१ घपरोल

भाग ८१      

सुबेर-सुबेर घपरोल

" आजो गढवालि चुटकला" " "

"सुबेर-सुबेर घपरोल"
श्रीमती जी,"देखि याल. वीं तुमार पातर पुष्पा बौ क करम। गोवा बि खबर कैरि याल बच्चों मा कि मि ये आदिमो दांत गौरु डाक्टर मा तुड़वानू छौं. अरे बच्चों तैं हैनिमून त चैन से मनाणि द्याव तुम लोग।"
श्रीमान जी," ठिक कार बौन । कन ब्वाल तिन कि मि कोटद्वार आपर मौसेरु भै डाक्टर ध्यानि मा तुमार इलाज करोल दांतो जबकि वू जानवरु डाक्टर च।"
श्रीमती जी," अरे जब आयुर्वेदिक डाक्टर आपरेशन कैरि सकदान त वेटनरी डाक्टर तुमार दांत किले नि तोड़ि सकदू। कोरोना इंजकेशन ट्राइल बि पैलि मूस पर हि करणा बल।तब लगण वैन आदिम पर।
श्रीमान जी,"जादा सांइटिस्ट नि बण तू अब। मिन त्यार फून फोड़ि दिण हाँ. जैमा देखिक तू ज्ञानि बणदी।
श्रीमती जी,"हथ लगै द्य्याखा जरा। मि हथ पर तुमार प्लास्टर चढवै ध्यूल! हाँ।
श्रीमान जी," अब मिन नेट चार्ज हि नि करण त्यार फूनो । तब देखि तू।
श्रीमती जी," रणदै। मितै अब जरुरत बि नि तुमार। म्यार लड़िक ब्वारी तुमसे तिगुण कमाणा छन।अफिक त काराल। तुम आपरि वीं पातर पुष्पा बौक हि करावो चार्ज बस.
श्रीमान जी," मि पता च।अब मिते सर्रा झपोड़ि झपाड़िक तुम तीनों क इक्का ह्वै ग्याइ। मिन त वे कोटद्वार मान हि गौं चलि जाण परसों।
श्रीमती जी," जखि जांदो। पर मिन त कु्छ नि बोलि. . . .
(घपरोल जारी)

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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