भाग ७८
सुबेर-सुबेर घपरोल
" आजो गढवालि चुटकला" " "
"सुबेर -सुबेर घपरोल"श्रीमान जी(मोबाइल पर) ," हाँ बौ ।सिमानि बौ। न बौ दांत पीड़ वनि च।"पुष्पा बौ," पता नि कैकि नज़र लगि ग्याइ।"श्रीमान जी," बौ अब बुढापा मा कैकि नज़र लगणि मि पर । लेकिन बौ,मि त तुमार घारो सिवै कैक यख बि नि जांदु छ्याई।"पुष्पा बौ," अरे त्वैपर नजर लगणि बात नि करणू मि। मि आपर घुणदो मंतर की बात करणो छ्याइ। निथर मि त घुणदो कीड़ गबगायट कैरिक त्यार हथ मा धेरि द्यूंद "श्रीमान जी," हाँ बौ। ठिक बुन्नि छै। मिते त लगणु कखि धरमू क ब्वैक मौसीं त नि करै कुछ गड़बड़। अरे वे सुंदरु ब्वै जू तेरी बैणि भगै ल्याई।"पुष्पा बौ,"इन कैरि। सवा फुट कालू धाग लेकि मिलि मितै। मि मंतरि ध्यूल ।धागू जनि सफेद हुण शुरु ह्वाल घुणदू गायब।श्रीमान जी," बौ आण त छ्याइ पर. . .।( आफिक बड़बडांद )ले फून हि कटि ग्याइ। पतानि यी सबि नेटवर्क वैबरिं ही गायब हुंदान जबि क्वी खास बात करण ह्वाई।(श्रीमती जी कू प्रवेश)श्रीमती जी,"वीं तुमार पातर पुष्पा बौ क फून वैबरिं किले आंद जब मि बाथरुम मा जांद या तुम बाथरुम मा घुसदो। श्रीमान जी," त्वै कनकै पता कि पुष्पा बौ क फून छ्याइ।श्रीमती जी," हां भौ ,हां भौ . ढिबरो तरां जू लग्यां छ्याइ. क्य भख्याणि छै वा पातर।श्रीमान जी,"वा बिचारी पुष्पा बौ त म्यार दर्द से परेशान च। बल धागू मंतराण ऐ सवा मीटर काऽलू धागू लेकि । श्रीमती जी,"कैन बणै व्हाल ये आदिम तैं सरकारी नौकर। वा सरकार बि पागल ही छै जैन तुमतै चालिस साल नौकरी पर राख।श्रीमान जी,"जादा नि बोल.।सरकारी पब्लिक कमिशन पास कैरिक लगू मि नौकरी।"श्रीमती जी,"इन ब्वाल्यादि कि कमिशन देकि।ये विज्ञान युग मा जंतर- मंतर कराणू दांतो दर्द। चलो भूत लग्यूं हुंद त मानि बि जाव। पर खबरदार जू वीं आपर पुष्पा बौ क ध्वार ग्याइ मंत्राणो। अरे ब्वारिक बताईं दवै लादि। श्रीमान जी," मिन न तो खाणा अर न दवै लाणा। न बल तू अस्पताल जा , अर न बल पुष्पा बौ क ध्वार धागू मंत्राणो। न मि खेै सकणू न सै सकणू ।कख जाण बोलो मिन अब।श्रीमती जी," जखि जा पर तुमतैं वीं तुमारि पुष्पा बौ क सौं जू वख ग्याइ।श्रीमान जी,"कतगा चलाक च या। द्य्याख्यादि कसम बि वीं बिचारि पुष्पा बौक दीणि। जै तै मि तोड़ि बि नि सकदू। मि धरमु खुणि फोन करदू अबि।श्रीमती जी,"खबरदार, जू बच्चों तैं परेशान कार। नै नै ब्यौ कैरिक घूमणौ जायां छन। मि आफिक निबटोल तुमारि बीमारी।श्रीमान जी," निबटै त याल तुमन. बौ क सौं बि दियेन । वख बि नि जै सकदू। जौं त कख जौं.श्रीमती जी ," मिन बोलियाल न मि आफिक निबटोल। बाकि जखि जांदि पर मिन त कुछ नि बोलि।"(घपरोल जारी)
"सुबेर -सुबेर घपरोल"
श्रीमान जी(मोबाइल पर) ," हाँ बौ ।सिमानि बौ। न बौ दांत पीड़ वनि च।"
पुष्पा बौ," पता नि कैकि नज़र लगि ग्याइ।"
श्रीमान जी," बौ अब बुढापा मा कैकि नज़र लगणि मि पर । लेकिन बौ,मि त तुमार घारो सिवै कैक यख बि नि जांदु छ्याई।"
पुष्पा बौ," अरे त्वैपर नजर लगणि बात नि करणू मि। मि आपर घुणदो मंतर की बात करणो छ्याइ। निथर मि त घुणदो कीड़ गबगायट कैरिक त्यार हथ मा धेरि द्यूंद "
श्रीमान जी," हाँ बौ। ठिक बुन्नि छै। मिते त लगणु कखि धरमू क ब्वैक मौसीं त नि करै कुछ गड़बड़। अरे वे सुंदरु ब्वै जू तेरी बैणि भगै ल्याई।"
पुष्पा बौ,"इन कैरि। सवा फुट कालू धाग लेकि मिलि मितै। मि मंतरि ध्यूल ।धागू जनि सफेद हुण शुरु ह्वाल घुणदू गायब।
श्रीमान जी," बौ आण त छ्याइ पर. . .।
( आफिक बड़बडांद )ले फून हि कटि ग्याइ। पतानि यी सबि नेटवर्क वैबरिं ही गायब हुंदान जबि क्वी खास बात करण ह्वाई।
(श्रीमती जी कू प्रवेश)
श्रीमती जी,"वीं तुमार पातर पुष्पा बौ क फून वैबरिं किले आंद जब मि बाथरुम मा जांद या तुम बाथरुम मा घुसदो।
श्रीमान जी," त्वै कनकै पता कि पुष्पा बौ क फून छ्याइ।
श्रीमती जी," हां भौ ,हां भौ . ढिबरो तरां जू लग्यां छ्याइ. क्य भख्याणि छै वा पातर।
श्रीमान जी,"वा बिचारी पुष्पा बौ त म्यार दर्द से परेशान च। बल धागू मंतराण ऐ सवा मीटर काऽलू धागू लेकि ।
श्रीमती जी,"कैन बणै व्हाल ये आदिम तैं सरकारी नौकर। वा सरकार बि पागल ही छै जैन तुमतै चालिस साल नौकरी पर राख।
श्रीमान जी,"जादा नि बोल.।सरकारी पब्लिक कमिशन पास कैरिक लगू मि नौकरी।"
श्रीमती जी,"इन ब्वाल्यादि कि कमिशन देकि।ये विज्ञान युग मा जंतर- मंतर कराणू दांतो दर्द। चलो भूत लग्यूं हुंद त मानि बि जाव। पर खबरदार जू वीं आपर पुष्पा बौ क ध्वार ग्याइ मंत्राणो। अरे ब्वारिक बताईं दवै लादि।
श्रीमान जी," मिन न तो खाणा अर न दवै लाणा। न बल तू अस्पताल जा , अर न बल पुष्पा बौ क ध्वार धागू मंत्राणो। न मि खेै सकणू न सै सकणू ।कख जाण बोलो मिन अब।
श्रीमती जी," जखि जा पर तुमतैं वीं तुमारि पुष्पा बौ क सौं जू वख ग्याइ।
श्रीमान जी,"कतगा चलाक च या। द्य्याख्यादि कसम बि वीं बिचारि पुष्पा बौक दीणि। जै तै मि तोड़ि बि नि सकदू। मि धरमु खुणि फोन करदू अबि।
श्रीमती जी,"खबरदार, जू बच्चों तैं परेशान कार। नै नै ब्यौ कैरिक घूमणौ जायां छन। मि आफिक निबटोल तुमारि बीमारी।
श्रीमान जी," निबटै त याल तुमन. बौ क सौं बि दियेन । वख बि नि जै सकदू। जौं त कख जौं.
श्रीमती जी ," मिन बोलियाल न मि आफिक निबटोल। बाकि जखि जांदि पर मिन त कुछ नि बोलि।"
(घपरोल जारी)
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