भाग ७९
सुबेर-सुबेर घपरोल
" आजो गढवालि चुटकला" " "
"सुबेर -सुबेर घपरोल"श्रीमती जी,"ल्यावू म्यार सेवियां बण्यां छ।फोटो खिंचिक मिन भैजि याल ब्वारि खुणि कि भौल इन नि ह्वाव कि मिते बदनाम करिन कि पांच दिन बिटी खाणो नि द्य्याइ मिते."श्रीमान जी,"आज सूरज कख बिटी निकल"श्रीमती जी,'पश्चिम बिटी निकल।म्यार पिताजी कि फून आयुं छ्याइ। तब जैकि।वख बि खबर भेजि द्य्याइ ये आदिमान कि मिते खाणो नि द्य्याइ तीन दिन बिटी।"श्रीमान जी,"पर यखमा त काजू,किशमिश अर् बदाम छैं हि नि छन।"श्रीमती जी,"बरात मा आयां छवा ।. एक तरफ त बल दांतों चबै हि नि जाणो अर ये तै बदाम काजू चयेणा। फिर हाय -हाय शुरु करिल।श्रीमान जी,"अब त मिन यू दांत तुणौन हि च। जरा आराम च आज।"श्रीमती जी,"ठिक च त।परस्यों कोटद्वार चलो।"श्रीमान जी ,"कोटद्वार किलै।श्रीमती जी,"वख मेरी ज्येठी लड़िक डाक्टर सुरेश ध्यानी च बढिया डाक्टर। द्वी चार दिन गौं बि चलि जौला। क्य पता बर्फ गिर जाव । बर्फ दिखला अर तुमार दांत बि डाक्टर भैजी मा तुड़ै द्य्यूला।श्रीमान जी,"त्यार दिमाग खराब त नि व्है।वू ध्यानी त गौरु भैंसौं डाक्टर च।श्रीमती जी,"त लक्षण त तुमार बि गौरु भैंस से कम छन क्य। कौवा क तरां कौं कौं, कुक्कर तरों भौं भौं बिलकुणो आंदा रैंदा अर सुंगरो तरां जखि तखि किच मा वीं पातर पुष्पा बौ घार पण लमडणा रौंदा।"श्रीमान जी,"फुण्ड लिजा ये सेंविया।जानवर बतौणि छै तू मिते।ला घास क पूल लया थड़केै मि कू। श्रीमती जी,"नि खावादि। कुत्ता तैं दे दिलू मि। वीं पातर पुष्पा बौक दर्शन नि ह्वाइ न बिण्डि दिन बिटी। वखि जैलू फिर तै गिच्चू मड़कैकि।श्रीमान जी,"फिर तू वीं पुष्पा बौ तें बीच मा लये।देखि ले तू हाँ.श्रीमती जी," क्य देखि ले। पर मिन त कुछनि बोलि . . . .(घपरोल जारी)
"सुबेर -सुबेर घपरोल"
श्रीमती जी,"ल्यावू म्यार सेवियां बण्यां छ।फोटो खिंचिक मिन भैजि याल ब्वारि खुणि कि भौल इन नि ह्वाव कि मिते बदनाम करिन कि पांच दिन बिटी खाणो नि द्य्याइ मिते."
श्रीमान जी,"आज सूरज कख बिटी निकल"
श्रीमती जी,'पश्चिम बिटी निकल।म्यार पिताजी कि फून आयुं छ्याइ। तब जैकि।वख बि खबर भेजि द्य्याइ ये आदिमान कि मिते खाणो नि द्य्याइ तीन दिन बिटी।"
श्रीमान जी,"पर यखमा त काजू,किशमिश अर् बदाम छैं हि नि छन।"
श्रीमती जी,"बरात मा आयां छवा ।. एक तरफ त बल दांतों चबै हि नि जाणो अर ये तै बदाम काजू चयेणा। फिर हाय -हाय शुरु करिल।
श्रीमान जी,"अब त मिन यू दांत तुणौन हि च। जरा आराम च आज।"
श्रीमती जी,"ठिक च त।परस्यों कोटद्वार चलो।"
श्रीमान जी ,"कोटद्वार किलै।
श्रीमती जी,"वख मेरी ज्येठी लड़िक डाक्टर सुरेश ध्यानी च बढिया डाक्टर। द्वी चार दिन गौं बि चलि जौला। क्य पता बर्फ गिर जाव । बर्फ दिखला अर तुमार दांत बि डाक्टर भैजी मा तुड़ै द्य्यूला।
श्रीमान जी,"त्यार दिमाग खराब त नि व्है।वू ध्यानी त गौरु भैंसौं डाक्टर च।
श्रीमती जी,"त लक्षण त तुमार बि गौरु भैंस से कम छन क्य। कौवा क तरां कौं कौं, कुक्कर तरों भौं भौं बिलकुणो आंदा रैंदा अर सुंगरो तरां जखि तखि किच मा वीं पातर पुष्पा बौ घार पण लमडणा रौंदा।"
श्रीमान जी,"फुण्ड लिजा ये सेंविया।जानवर बतौणि छै तू मिते।ला घास क पूल लया थड़केै मि कू।
श्रीमती जी,"नि खावादि। कुत्ता तैं दे दिलू मि। वीं पातर पुष्पा बौक दर्शन नि ह्वाइ न बिण्डि दिन बिटी। वखि जैलू फिर तै गिच्चू मड़कैकि।
श्रीमान जी,"फिर तू वीं पुष्पा बौ तें बीच मा लये।देखि ले तू हाँ.
श्रीमती जी," क्य देखि ले। पर मिन त कुछनि बोलि . . . .
(घपरोल जारी)
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