मलारी (चमोली ) के भवनों में गढवाली शैली की 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन
House Wood Carving Art from Malari , Chamoli
गढ़वाल, कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली, खोली) में गढवाली शैली की 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन, - 404
(अलंकरण व कला पर केंद्रित)
संकलन - भीष्म कुकरेती
नीति क्षेत्र से भी परोक्ष व अपरोक्ष रूप से काष्ठ कला युत भवनों की सूचना मिल रही हैं। आज हेमंत डिमरी की सूचना आधार पर मलारी के दो भवनों की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन पर चर्चा होगी। दोनों भवनों का महत्व उत्कीर्र्ण हेतु नहीं होगा किन्तु काष्ठ कला ,काष्ठ कटान व काष्ठ कटान शैली महत्वपूर्ण व गढ़वाल में आदिकाल से अब तक भवनों में काष्ठ कला अलंकरण समझने हेतु ये दोनों भवन महत्वपूर्ण हैं।
एक भवन नया है जौ कांच उपयोग से बिलकुल विशेष लग रहा है। दूसरा गढ़वाल में भवनों में आदि शैली का शत प्रतिशत प्रतिनिधित्व करता है। यही आदि शैली उत्तर उत्तरकाशी , पश्चिम उत्तरकाशी व पश्चिम देहरादून में स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। पिथौरागढ़ के उत्तर भाग व डोटी नेपाल , पूर्वी उत्तर हिमाचल में भी भवनों में यही आदि काल काष्ठ मिल जाती हैं।
प्रस्तुत आदिकालीन काष्ठ शैली युक्त भवन दुपुर अथवा ढाई पुर है व दुखंड है। इस भवन में भवन चिनाई कोटि बनाल (पत्थर व कष्ट कड़ियों से दीवारें निर्माण ) शैली अपनायी गयी है दिखीती है।
भवन के भ्यूंतल व पहले तल में द्वारों या खोहों /छेदों को काष्ठ पट्टिकाओं/तख्तों ने भरा है। कड़ियाँ वा द्वार , तख्ते सभी ज्यामितीय कटान से कटे सपाट हैं। अर्थात इनमें उत्कीर्णन /carcing नहीं हुआ है।
पहले आधुनिक भवन में भी काष्ठ उपयोग हेतु ज्यामितीय कटान (सपाट ) शैली ही उपयोग हुयी है। इस भवन में कानवः की खिड़कियां हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि हेमंत डिमरी सूचित मलारी (चमोली ) के दोनों पुराने व नवीन भवनों में ज्यामितीय कटान से सपाट काष्ठ कला दृष्टिगोचर होती है।
सूचना व फोटो आभार: हेमत डिमरी
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: वस्तु स्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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