भाग ९६
सुबेर-सुबेर घपरोल
" आजो गढवालि चुटकला" " "
"सुबेर-सुबेर घपरोल"
श्रीमती जी," ज्या व्है ह्वाल.तीन -चार दिन बिटी स्यू फोन हि पकड़्यूं. क्वी च्वीं-चां नि. तबियत त ठिक च.
श्रीमान जी,"कुछ नि ह्वै? तू आपर गिच बंद राख बस.
श्रीमती जी," क्य माघ मैना क मौनी अमावस्या कारण सर्रा मैना हि मौन व्रत च क्य?
श्रीमान जी," इनि समझ. म्यार फोन पर ज्या खराबी ह्वै होलु. हैंग ह्वै ग्याइ.
श्रीमती जी," ठिक ह्वै. चौबिस घण्टा वै तैं कचोरना लग्यूं रैल त खराब नि हुण. कमसे कम वीं पातरों खुणि फोन त नि हुणू.
श्रीमान जी," मिन यू फून हि मारण त्यार मुण्ड पर. फिर तू बौ तैं बीच मा लये. चार दिन चुप ठिक छै मि.
श्रीमती जी," भौल धरमूक जलमबार मनाणो वैक सुसराल जाण. जरा ढंग क कपड़ा पैरिन.
श्रीमान जी," जू मैंमा छन वी त पैरुल. त्यार बुबौक भिज्यां मिखुणि. अबि त द्वी मैना पैलि नै सिलायां म्यार धरमूक ब्यौ मा.
श्रीमती जी," मि ब्यौक साड़ी पैरिक जौल धरमूक सुसराल. पुराणि. आज मिखुणि नै साड़ी लावा. ब्लाऊज त पुराणो बि चैलि जालु स्वीटर पुटक. लाल रंगो लाण. लाल ब्लाउज भौत छन.
श्रीमान जी," मि मा पैंसा नि छन. अर त्यार- म्यार जाणो क्य जरुरी च ?.स्यू धरमू त जालु जेकु जलमबार च। अर ब्वारी बि लि आलु.
श्रीमती जी," तुमार दिमाग खराब च. समधणिक पैलि बैर बुलायूं. अर वूंक घार बि त दिखला हम। ब्यौ त होटल मा ह्वै छ्याइ.
श्रीमान जी," मि न आणु अर न जाणू. बगैर बात कु भबतात. सुबेर पंडित बुलौ अर ग्रह पुजोला धरमूक। उड़दु पकोड़ि बि बणै ले. यू अंग्रेजी फैसन मि नि पसंद।
श्रीमती जी,"सर्रा डिभरी बल मुण्डि माण्डि अर पूंछ क दफे टर्र मर्।कन आदिम प्वाड़ म्यार पल्ला हर कामो आखिर दफै कुछ न कुछ बबाल करदु।
श्रीमान जी," मि पंडित खुणि फोन करदु। सुबेर उड़दुक पकोड़ि जरुर बणै।
श्रीमती जी," मि पता च। सर्रा परपंच वीं पातर अपणि पुष्पा बौ तें घुल्याणो व्हाल त्यार।
श्रीमान जी,"तू कुछ बि समझ. जखि जांदि. पर मिन त कुछ नि बोलि. . . .
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