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भाग ९४ घपरोल

भाग ९४ 

सुबेर-सुबेर घपरोल


" आजो गढवालि चुटकला" " "

"सुबेर-सुबेर घपरोल"
श्रीमान जी," सी बारह बजि गैन. अबि तक क्वी चुट पट नि. चा बि आफिक बणै. अरे कख छै तू. रुठल नि बणै आज कल्यो क.?
श्रीमती जी,'" क्य ह्वै।आज धरमूक शिफ्ट एक बजि बिटी च. त अबि सिंयू च. यू वर्क फ्राम होम बि आफत ह्वै गै।
श्रीमान जी," अरे वैक च ड्यटी मेरी त नि च. मितै नौ बजि कल्यो चयेंद बस. दवै खाण से पैलि।
श्रीमती जी," बणै नि सकद छै. फौंदारी करणो त खूब जोश दिखै गौं मा. अर वीं पातरो समणि बिरालु बणि जांदू.
श्रीमान जी," फण्ड फुकणै रौ तू बौक डैर. म्यार मंगतू भुलाक द्वी किलो घर्या पिण्डालु दियों छ्याइ. द्वी हफ्ता ह्वै गैन . सड़ै ऐ ह्वाल तिन. जरा मूली अर पिण्डालू थिंचोड़ी बणादि भांगलु जख्या डालि।
श्रीमती जी," मि नि करण्या इतना झंझट."
श्रीमान जी," ला इना दी वै थैला. मि बौ तें देकि आंदु।
श्रीमती जी," इन ब्वाल्यादि कि वीं खुणि हि लायूं छै. विंक उतना माल्टा अर लिंबू ल्यायां छ्याइ कटा भौरिक . एक दाणि बि दै विन धरमू खुणि।
श्रीमान जी," त्यार डैर नि दे व्हाल। मितै त खूब खलैन गौं मा कजब्वलि बणैक.
श्रीमती जी," हाँ तबि त पटवारी मा तुमारि कजब्वलि बणवै। वींक आरती हौर उतारौ.
अब त मिन कुछ नि पकाणा। सर्रा दिमाग खराब कैरि द्याइ।
श्रीमान जी," शुरुवात त तू करदी बौक नौं लेकि। चित बि मेरी अर पट बि मेरी।
दिमाग खराब कैरि याल मि बजार जांदु वखि कुछ समोसा भटूरा खैक आंदु।
श्रीमती जी," जै आदिम तैं भैर चाटणो आदत हो वैन घारक मुरगि बि क्य चिताण. जखि जाणा. पर मिन त कुछ नि बोली. . . .
(घपरोल जारी).

विश्वेश्वर प्रसाद-(सिलस्वाल जी)

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