ADD

अब बि बरखा छैचं ..गीत ...Gharwali... utterakhand


अब बि बरखा  छैचं 

कबि ते थे  मी
खुदैणु छू क्या 
अब बि तेर नौ ऊंटड़ियूं  छैचं 


तेर खुदों  कि
मन मा मेरु 
अब बि बरखा  छैचं 


पीड़ा कि गर्दी मा
ज्ब हरचणु  मि 
अब बि तेरु हात हाती छैचं 


भिजी गे छ
जख दग्डी दुई 
वख अबि बि बरखा  छैचं 
अब बि बरखा  छैचं 

बालकृष्ण डी ध्यानी.


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ