मन कू खेळ
(ज्यू बणों मा ग्युं च ,पात पात मा ग्युं च। ... २
ज्यू बुरांसि डालि मा , ककड़ी कि पाड़ि मा ग्युं च।) ... २
हिलोरि-खिलोरि शाम शाम देखि ले
बढ़धम्म बथों बथेनि देखि ले
लंम्पट ऊ गैणु ते रुकि रुकि जा बोलि कि
गोळ गोळ अपड़ा खोल मा
जून हातों से छुई ले
गिर गिर गिरक्याणी भूमि कू फुल्यार
सिं कलि ऐग जाग रे
थर थर थराट नाचि गे दूनि रे
भर भर भौरों कू गुन गुनाट सुणि
कलि अब फुलि गे रे
बणों मा गणों मां बेधुंद हेगे मन
ज्यू बणों मा ग्युं च
ज्यू बणों मा ग्युं च ,पात पात मा ग्युं च ... २
ज्यू बुरांसि डालि मा , ककड़ी कि पाड़ि मा ग्युं च...
फर फराट आगस टुक टुक जूंला
बथों कू पर लेकि
कुरैड पाणी मा तुम्ब तुम्ब नहे कि
बादळ दग्डी झुम्पा लूंला
सर सरैत डालियोँ सुरसुराट
पातों कू साथ लेणु रे
मट मटमैलू हुंयाँ माटु हुंकारणु
रंगा कू ऊ देणु ननाद
बणों मा गणों मां खेळ बेधुंद हेगे मन
ज्यू बणों मा ग्युं च। .....
ज्यू बणों मा ग्युं च ,पात पात मा ग्युं च ... २
ज्यू बुरांसि डालि मा , ककड़ी कि पाड़ि मा ग्युं च...
बालकृष्ण ध्यानी
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