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बुद्धा टेम्पल ...Buddha Temple...Dehradun

बुद्ध मंदिर देहरादून में क्यों प्रसिद्ध है?


यह मंदिर एशिया के सबसे बड़े स्तूप का घर है । यह मठ अपनी खूबसूरत वास्तुकला के लिए जाना जाता है। भित्ति चित्र भगवान बुद्ध के जीवन को दर्शाते हैं। मठ में पाँच मंजिलें हैं और पाँचवीं मंजिल केवल रविवार को आगंतुकों के लिए खुली रहती है।

बुद्ध मंदिर देहरादून का निर्माण कब हुआ था?

बुद्ध मंदिर एक तिब्बती मठ है, जिसे माइंड्रोलिंग मठ भी कहा जाता है और इसका निर्माण 1965 में बौद्ध धर्म की धार्मिक और सांस्कृतिक समझ के प्रचार और संरक्षण के लिए कोचेन रिनपोछे और कुछ अन्य भिक्षुओं द्वारा किया गया था।


बुद्ध की सबसे बड़ी मूर्ति कहाँ है?

यह चीन के दक्षिण में स्थित सिचुआन प्रांत के शहर लेशान में मिनजियांग, दादु और किंग्यी नदी के संगम पर स्थित है। यह दुनिया में सबसे ऊँची पत्थर की प्रतिमा है और इसके निर्माण के समय तो यह दुनिया में बुद्ध की सबसे ऊँची मूर्ति थी। लेशान की विशाल बुद्ध प्रतिमा सन 1996 के बाद से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध है।

भारत का सबसे बड़ा बुद्ध कौन सा है?

महान बुद्ध प्रतिमा (दाइबुत्सु) बोधगया, बिहार (भारत) में बौद्ध तीर्थयात्रा और पर्यटन मार्गों पर लोकप्रिय पड़ावों में से एक है। यह प्रतिमा 18.5 मीटर (61 फीट) ऊंची है, जो खुली हवा में कमल पर ध्यान मुद्रा या ध्यान मुद्रा में बैठे बुद्ध का प्रतिनिधित्व करती है।

कौन सी बुद्ध की मूर्ति घर के लिए अच्छी है?

लाफिंग बुद्धा को गौतम बुद्ध से अलग माना जाता है. सौभाग्य पाने के लिए घर में इस तरह की मूर्ति रखना शुभ होता है. इसे किसी कोने में टेबल पर या फिर घर के मैन गेट पर रखना चाहिए. लाफिंग बुद्धा घर में खुशहाली और समृद्धि लाता है.

गौतम बुद्ध को मारने कौन आया था?

लोगों को मारकर उनकी ऊंगलिया काटकर माला पहनने वाले श्रावस्ती के खूंखार डाकू को सभी 'अंगुलिमाल' के नाम से जानते हैं. लेकिन उसके बचपन का नाम अंगुलिमाल नहीं था और ना ही वह बचपन से हिंसक प्रवृत्ति का था.

बुद्ध भगवान कौन से देश के थे?

इसमें कोई संदेह नहीं है कि गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में हुआ था, जो नेपाल में है

भगवान बुद्ध की मृत्यु कहाँ हुई थी?

कुशीनगर परिचय बौद्ध ग्रंथों के मुताबिक़ महात्मा बुद्ध की मृत्यु ककुत्था नदी को पार करने के बाद कुछ दूर जाने के उपरांत कुशीनारा नामक एक वन क्षेत्र मे हुई थी। बाद में उनके निधन और महापरिनिर्वाण स्थल पर स्तूपों का निर्माण करवाया गया और बौद्ध धर्म के मानने वालों के लिए यह एक तीर्थ बन गया।


देहरादून का बुद्धा टेंपल, यहां आते दुनियाभर के लोग, जानिए कब और क्यों हुआ इसका निर्माण

यहां भगवान बुद्ध के साथ ही गुरु पद्मसंभव की विशाल प्रतिमाएं हैं। मठ के अंदर बुद्ध की 103 फीट ऊंची प्रतिमा है जो पर्यटकों को आकर्षित करती है। बिहार के गया में भी कमल पर व‍िराजमान आशीर्वाद मुद्रा में भगवान बुद्ध की प्रत‍िमा है जो 80 फीट ऊंची है।
देहरादून के क्लेमेनटाउन में स्थित बुद्धा टेंपल देश-विदेश के पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। इसको मिंड्रोलिंग मोनेस्ट्री के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण 1965 में शुरू हुआ था। यहां भगवान बुद्ध के साथ ही गुरु पद्मसंभव की विशाल प्रतिमाएं हैं। मठ के अंदर बुद्ध की 103 फीट ऊंची प्रतिमा है, जो पर्यटकों को आकर्षित करती है। बिहार के गया में भी कमल पर व‍िराजमान आशीर्वाद मुद्रा में भगवान बुद्ध की प्रत‍िमा है, जो 80 फीट ऊंची है।

देहरादून का बुद्धा टेंपल, यहां आते दुनियाभर के लोग, जानिए कब और क्यों हुआ इसका निर्माण
यहां भगवान बुद्ध के साथ ही गुरु पद्मसंभव की विशाल प्रतिमाएं हैं। मठ के अंदर बुद्ध की 103 फीट ऊंची प्रतिमा है जो पर्यटकों को आकर्षित करती है। बिहार के गया में भी कमल पर व‍िराजमान आशीर्वाद मुद्रा में भगवान बुद्ध की प्रत‍िमा है जो 80 फीट ऊंची है।

देहरादून का बुद्धा टेंपल, यहां आते दुनियाभर के लोग, जानिए कब और क्यों हुआ इसका निर्माण
देहरादून के क्लेमेनटाउन में स्थित बुद्धा टेंपल देश-विदेश के पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। देहरादून के क्लेमेनटाउन में स्थित बुद्धा टेंपल देश-विदेश के पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। इसको मिंड्रोलिंग मोनेस्ट्री के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण 1965 में शुरू हुआ था। यहां भगवान बुद्ध के साथ ही गुरु पद्मसंभव की विशाल प्रतिमाएं हैं। मठ के अंदर बुद्ध की 103 फीट ऊंची प्रतिमा है, जो पर्यटकों को आकर्षित करती है। बिहार के गया में भी कमल पर व‍िराजमान आशीर्वाद मुद्रा में भगवान बुद्ध की प्रत‍िमा है, जो 80 फीट ऊंची है।

इस तरह पहुंचे बुद्धा टेंपल

क्‍लेमेनटाउन स्‍थि‍त बुद्धा टेंपल देहरादून आइएसबीटी से सहारनपुर मार्ग पर सात किलोमीटर की दूरी पर स्‍थ‍ित है। यहां के लिए हर पांच मिनट बाद विक्रम चलते हैं। आप चाहें तो आइएसबीटी चौक से आटो भी बुक कर यहां तक पहुंच सकते हैं।

शाम को लगती है भीड़
बड़े क्षेत्र में तीन मंज‍िला बुद्धा टैंपल के दर्शन को सुबह से लोग पहुंचते रहते हैं, लेक‍िन शाम को यहां भीड़ अधिक बढ़ जाती है। हरे भरे मैदान और जंगल से सटे इस मंद‍िर पर‍िसर में व‍िभ‍िन्‍न जगहों पर कुर्सियां लगी हैं जहां आप बैठकर आनंद भी उठा सकते हैं। लोग यहां आकर सेल्‍फी के साथ इस पल को यादगार बनाते हैं। इसके अलावा मंद‍िर से बाहर न‍िकलते ही सड़क किनारे कई खाने पीने की दुकान भी हैं। जहां से आप अपनी पसंद के व्‍यंजन का तुत्‍फ उठा सकते हैं।

185 मीटर ऊंचे महान स्तूप और 103 फीट ऊंची भगवान बुद्ध की प्रतिमा का नजारा

राजधानी दून की आईएसबीटी (इंटर स्टेट बस टर्मीनल) महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही तिब्बती समुदाय धार्मिक स्थल स्थित है। जिसे बुद्धा मॉनेस्ट्री या बुद्धा गॉर्डन के नाम से जाना जाता है। तिब्बती समुदाय द्वारा मंदिर की स्थापना 1965 ई. में की गई थी। मंदिर का अदभुत दृश्य टूरिस्ट को अपनी ओर आकर्षित करता है। जानकारों की माने तो मंदिर को गोल्डेन कलर देने के लिए पचास कलाकारों को तीन साल का लंबा वक्त लगा।


बालकृष्ण डी ध्यानी
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