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आंख्युं आंख्युंम Gharwali Poetry ..By...Balkrishna Dhyani


आंख्युं आंख्युंम

आंख्युं आंख्युंम देखि कि
माया व्है जाळी क्या
विंकि नजरों को माया ते
बिस्वास व्है जाळु क्या
आंख्युं आंख्युंम देखि कि .....

विं दग्डी हलो हाय बोल कि
पिरेम कि सुरवात व्हैजाळी क्या
मिन त सुणि छे
बिना बोलि भि पिरेम व्हैजान्दु छ्या
आंख्युं आंख्युंम देखि कि .....

कैन बोली छै
जून जून पर हि मिळ सकदु
मेर पियार को जून
त मेर ज्यू मां हि रेन्दु ई भुमिम
आंख्युं आंख्युंम देखि कि .....

ज्यू हि ज्यू म
ऊ दुई माया करदा
मिते ते से पिरीत छ
ऊ किलै बोल नि सकदा
आंख्युं आंख्युंम देखि कि .....

ऊकिं टुप्प लड्याँण लगीं
तरि बि ऊ हां नि बोलणि
पर ऊ अप्डी माया न
मेर माय दगड छुई लगाणी छ
आंख्युं आंख्युंम देखि कि .....

मिन अप्डी भावों कि हाक ते
ऊं तक पोंछादिईं
अब देख्यण या छ ऊ अप्डी भावों ते
म्यार भावों दग्ड़ कन बच्चे रखद
आंख्युं आंख्युंम देखि कि .....

बालकृष्ण ध्यानी

उत्तराखंड की लगूलि
UKLaguli

बालकृष्ण डी ध्यानी
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