खोज लाता हूं
खोज लाता हूंभींच जाता हूँ
अपने को रोज यूँ ही
अपने से खींच लाता हूँ मैं
खोया हुआ हूँ
उस में इस कदर
जीत ना है मुझे
पर रोज हार जाता हूँ मैं
रोज गिरता हूँ
फिर उठता हूँ
नाकमियों से अब यूँ ही
रोज कुछ ना कुछ सीख पाता हूँ मैं
खोज लाता हूं
©®
बालकृष्ण डी. ध्यानी
उत्तराखंड की लगूलीUK Laguli
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