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खोज लाता हूं Hindi Poetry -Find out By Balkrishna Dhyani


खोज लाता हूं

खोज लाता हूं
भींच जाता हूँ
अपने को रोज यूँ ही
अपने से खींच लाता हूँ मैं

खोया हुआ हूँ
उस में इस कदर
जीत ना है मुझे
पर रोज हार जाता हूँ मैं

रोज गिरता हूँ
फिर उठता हूँ
नाकमियों से अब यूँ ही
रोज कुछ ना कुछ सीख पाता हूँ मैं
खोज लाता हूं

©®

बालकृष्ण डी. ध्यानी

उत्तराखंड की लगूली
UK Laguli 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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