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सर जार्ज एवरेस्ट (Sir George Everest) Hill Station Utterakhand Dehradun


सर जार्ज एवरेस्ट (Sir George Everest)

  • माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई कितनी है?
  • माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई उस समय 29,002 फीट या 8,840 मीटर मापी गई थी। वैज्ञानिक सर्वेक्षणों में कहा जाता है कि इसकी ऊंचाई प्रतिवर्ष 2 से॰मी॰ के हिसाब से बढ़ रही है।
  • इसे एवरेस्ट क्यों कहा जाता है?
  • उन्नीसवीं सदी में, इस पर्वत का नाम भारत के पूर्व सर्वेक्षक जनरल जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया था । तिब्बती नाम चोमोलुंगमा है, जिसका अर्थ है "विश्व की देवी।" नेपाली नाम सागरमाथा है, 
  • क्या जॉर्ज एवरेस्ट एक ट्रेक है?
  • जॉर्ज एवरेस्ट पीक ट्रेक एक आसान ट्रेक है । इसे शुरुआती और अनुभवी ट्रेकर्स द्वारा किया जा सकता है। हालाँकि, ट्रेक का अंतिम भाग चुनौतीपूर्ण है। सुनिश्चित करें कि आप ट्रेक की योजना बनाने से पहले अच्छी तरह तैयार हैं।
  • मैं मसूरी से जॉर्ज एवरेस्ट कैसे पहुंचूं?
  • जॉर्ज एवरेस्ट हाउस गांधी चौक, वेस्ट मॉल रोड, मसूरी से 6 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचने के लिए आप देहरादून या मसूरी से जीप, कैब या टैक्सी किराये पर ले सकते हैं। नजदीकी रेल देहरादून रेलवे स्टेशन पर है जो इस स्थान से 35 किमी दूर है और जॉली ग्रांट, देहरादून में हवाई अड्डा 65 किमी दूर है।
  • क्या हम उत्तराखंड से एवरेस्ट देख सकते हैं?
  • अल्मोडा में रानीखेत - आप इसे उत्तराखंड में पा सकते हैं । यह दिल्ली से लगभग 343 किलोमीटर दूर एक हिल स्टेशन है। भारतीय सेना की कुमाऊँ रेजिमेंट। यहां से, आप विशेष रूप से साफ दिन पर माउंट एवरेस्ट की चोटी का स्पष्ट दृश्य देख सकते हैं।
  • एवरेस्ट पर चढ़ने वाले उत्तराखंड के पहले व्यक्ति कौन थे?
  • बछेंद्री पाल का जन्म 24 मई 1954 को उत्तर भारतीय राज्य उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के नकुरी गाँव के एक भोटिया परिवार में हुआ था। 1984 में, वह माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
  • भारत का सबसे ऊंचा एवरेस्ट कौन है?
  • कंचनजंगा भारत की सबसे ऊँची पर्वत चोटी है। इसकी ऊंचाई 8598 मीटर है। यह सिक्किम और नेपाल के बीच की सीमा पर पूर्वी हिमालय में स्थित है।
देहरादून से महज एक घंटे की दूरी पर रोमांच की दुनिया है घने जंगलों से गुजरते हुए आपको शांति और सुकून मिलेगा।
जॉर्ज एवरेस्ट मसूरी सर जॉर्ज एवरेस्ट ने मसूरी में जॉर्ज एवरेस्ट पर रहकर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का अवलोकन और शोध किया। अब यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है।
सर जार्ज एवरेस्टवो व्यक्ति हैं जिनके नाम पर सबसे ऊंचा पर्वत शिखर माउंट ऐवरेस्ट का नाम रखा गया है। सर जार्ज एवरेस्ट ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का निरीक्षण और शोध मसूरी के जार्ज एवरेस्‍ट  पर रहकर किया था।
ऊंचाई से प्रकृति के मनमोहक नजारों का उठाएं लुत्फ
यह जगह देहरादून से मजह एक घंटे की दूरी पर है और जंगल के बीच से गुजरने वाला इसका रास्‍ता एडवेंचर से भरा है। यहां रोजाना देश विदेश से पर्यटक आते हैं और ऊंचाई से प्रकृति के मनमोहक नजारों का लुत्फ उठाते हैं।
सर जार्ज एवरेस्ट  के नाम पर ही दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का नाम 'माउंट एवरेस्ट'  रखा गया है, उन्होंने जीवन का एक लंबा अर्सा मसूरी में गुजारा था। यह स्‍थान प्रकृति के एकदम बीच में हैं और यहां से गुजरने वाला रास्‍ता भरपूर आनंद देने वाला है।
वहीं जार्ज एवरेस्ट (George Everest) पर पहुंच कर आसपास की हरी भरी वादियां देखकर आपके दिल और आंखों को बेहद सुकून मिलेगा। यहां से जहां दूनघाटी, अगलाड़ नदी और बर्फ से ढकी चोटियों का मनोहारी नजारा दिखाई देता है। आइए जानते हैं इसकी खासियत...

  1. वेल्स के इस सर्वेयर एवं जियोग्राफर ने ही पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई और लोकेशन बताई थी।इससे पहले एवरेस्ट को 'पीक-15' नाम से जाना जाता था।
  2. तिब्बती लोग इसे 'चोमोलुंग्मा' और नेपाली 'सागरमाथा' कहते थे।
  3. जार्ज वर्ष 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे।
  4. मसूरी स्थित सर जार्ज एवरेस्ट के घर और प्रयोगशाला में भारत की कई ऊंची चोटियों की खोज हुई।वर्ष 1832 से 1843 के बीच इनकी खोज के बाद उन्हें मानचित्र पर उकेरा गया।
  5. सर जार्ज एवरेस्ट का घर और प्रयोगशाला का निर्माण वर्ष 1832 में हुआ था।अब इसे पार्क हाउस नाम से जाना जाता है।
  6. यहां से दूनघाटी, अगलाड़ नदी और बर्फ से ढकी चोटियों का मनोहारी नजारा दिखाई देता है।अब जार्ज एवरेस्ट का यह घर अब आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया की देख-रेख में है।
  7. इस एतिहासिक धरोहर को निहारने हर साल बड़ी तादाद में पर्यटक यहां पहुंचते हैं।
  8. वर्ष 1847 में जार्ज ने भारत के मेरिडियल आर्क के दो वर्गों के मापन का लेखा-जोखा प्रकाशित किया था। इसके लिए उन्हें रायल एस्ट्रोनामिकल सोसायटी ने पदक भी दिया था।
  9. इसके बाद में उन्हें रायल एशियाटिक सोसायटी और रायल जियोग्राफिकल सोसायटी की फैलोशिप के लिए चुना गया।
  10. वर्ष 1854 में उन्हें कर्नल के रूप में पदोन्नति मिली और फरवरी 1861 में वे 'द आर्डर आफ द बाथ' के कमांडर नियुक्त हुए। 1861 में उन्हें 'नाइट बैचलर' नियुक्‍त किया गया।
  11. एक दिसंबर 1866 को लंदन के हाईड पार्क गार्डन स्थित अपने घर में उन्होंने अंतिम सांस ली।

  • कैसे पहुंचे जार्ज एवरेस्ट 
इसके लिए पहले आपको सड़क मार्ग से मसूरी पहुंचना होगा। सर जार्ज एवरेस्ट का घर और प्रयोगशाला मसूरी में पार्क रोड पर स्थित है, जो गांधी चौक लाइब्रेरी बाजार से लगभग छह किमी की दूरी पर पार्क एस्टेट में स्थित है।
मसूरी स्थित हाथीपांव पार्क रोड क्षेत्र के 172 एकड़ भूभाग में बने जार्ज एवरेस्ट हाउस (आवासीय परिसर) और इससे लगभग 50 मीटर दूरी पर स्थित प्रयोगशाला (आब्जरवेटरी) को देखने रोजाना पर्यटक पहुंचते हैं।



बालकृष्ण डी ध्यानी
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