पंत दीदी
कुछ अलग है बात दी
कुछ तो है ख़ास आज दी
हां....कुछ तो है ख़ास दी
वैसे तो आम दी
कुछ अलग है बात दी
नहीं मिले हैं एक बार भी दी
ऐ रिश्ता है कुछ पास दी
मुस्कान की तो बात दी
पहचान यही है आज दी
कुछ अलग है बात दी
लगी हुई है आज भी दी
संस्कारों की है बहार दी
यादों की आज बरसात दी
वो भूले बिसरे गीत याद दी
कुछ अलग है बात दी
रेडियो की कविता याद दी
सुन राह हुं वो नया राग दी
फिर से आई वो घड़ी आज दी
जन्मदिन की बधाइयों की हो बरसात दी
कुछ अलग है बात दी
जन्मदिन की हार्दिक बधाई व ढेर सारी शुभकामनाएं दीदी
बालकृष्ण ध्यानी
उत्तराखंड की लगूलि
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