शिक्षा को प्रपंच
देख प्रपंच शिक्षा को
कण छुरा छूरी ने माचायु
हात मा हात धरी बस्गा
सरया बाजार मा घुमयु
गढ़वाली गीतों नै
मण सबका हरर्षयु
देख जवांण ये बांदा
दागडयूँ संग नाचायु
देख प्रपंच शिक्षा को
जावणी को उमाल
उमाली उमाली की आंदा
सरया नाता छुचा
कण भूली ली जाणद
सरया बाजार मा घुमयु
कण खैरी की बाबा णी
हम थै पढाई लिखाई
कण हल वहवाई बोई
ये बोई ली ही जाण भुलह
देख प्रपंच शिक्षा को
हमरी संस्क्रती दीदा
ताड ताड़ हो जांदा
जब शिक्षा छुडी छुरा छूरी
अपर अपर मनख्यूं बस जांदा
देख प्रपंच शिक्षा को
एक टीश च चुबणी
ये जीकोड़ी का भीतर
क्या होलो म्यार गढ़ देश को
पीड़ा उभरी आंदा पीड़ा उभरी आंदा
देख प्रपंच शिक्षा को
देख प्रपंच शिक्षा को
कण छुरा छूरी ने माचायु
हात मा हात धरी बस्गा
सरया बाजार मा घुमयु
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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