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बिरदयू गयुं


बिरदयू गयुं

हुंयुँ छों तुण्ड बरसाता मा
मि विं बरखा की रात मा
मिली जबेर तेर नशेली नजरि मेर नजरि
बिरदयू गयुं
मि बिरदयू गयुं ऊँ अदा बिच बाट मा

छन कया नशा छै
वीं केशा कि लगुली वे रात कली घटा छे
नि छे वे रात पौड़ी जुन की जुन्याली
विं की मुखडी ही बनिगे पुन्याली
विं पुन्याली देके कि
बिरदयू गयुं
मि बिरदयू गयुं ऊँ अदा बिच बाट मा

दंत पंक्ति की रेघा मा
विं परेली की रेशा मा
कन भाग मेरु अटगि
विं की बिन्दुली मा जै अटकी
विं बिन्दुली देके कि
बिरदयू गयुं
मि बिरदयू गयुं ऊँ अदा बिच बाट मा

मिल बी कै दे सिकेसैरी
विंल जबै मिथे देकि
हैंसि विं ग्लौड़ी देक मेर ग्लौड़ी हैंसि
विं थे देक ना बान बाद मा मेर क्ख क्ख दौड़ी भैंसी
विं हैंसि देके कि
बिरदयू गयुं
मि बिरदयू गयुं ऊँ अदा बिच बाट मा

हुंयुँ छों तुण्ड बरसाता मा
मि विं बरखा की रात मा
मिली जबेर तेर नशेली नजरि मेर नजरि
बिरदयू गयुं
मि बिरदयू गयुं ऊँ अदा बिच बाट मा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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