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परदेश

परदेश
मुण्डमा हाथ धरी की
क्या सुचाणु चै  भुला
मुण्डमा हाथ धरी की
इन सुच्णु चै भैजी
घर दार छुडी परदेश आयुओं
खाणि कामणि बना
पल पल ऊंकि याद ऊआणी
ज्यों थे घर छुडी  आयों
मुण्डमा हाथ धरी की
इन सुच्णु चै भैजी.............
याद ऊआणी उत्तराखंड की
देव भूमि च्या व न्यारी
बुरांस का फुल खिल्यं वाला
हरी भारी होली डंडी
उधेडा गीता गण वाला
सरियूं मा बेटी बावरी
घास का कुला माथा मा धरी
जणवाला  बन्दा न्यारी 
गदयूं का छम  छम  सुर मा
पैजण बजना वाला
माथा माँ कसरी राखी पन्त्देरी
पंतेंदर ब्च्याणा वाला
मयारू मान मुडी मुड़ी की
मीथे झुराणु  चै भैजी 
मुण्डमा हाथ धरी की
इन सुच्णु चै भैजी.............
बणोमा कोयाड़ी छयी होली
बोई की जेकुड़ी झुरणी होली
कख होलू मेरु स्तियूं पल्यूं
अखून माँ आशून रेघ लगी होली
बोया क्या खाअणू होलू
कण के अपर थे समभलाणु होलू
मयारू दुध की धरु कु लाटू
परदेश मा कण होलू
बोया का खुदा मा खोयंच भैजी
मुण्डमा हाथ धरी की
क्या सुच्णु चै भुला
मुण्डमा हाथ धरी की
इन सुच्णु चै भैजी
घर दार छुडी परदेश आयुओं
खाणि कामणि बना
पल पल ऊंकि याद ऊआणी
ज्यों थे घर छुडी  आयों
मुण्डमा हाथ धरी की
इन सुच्णु चै भैजी.............

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कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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