परेशानी
यहाँ वहां जहाँ तहां
इस का ही घर
देखो जहाँ जहाँ
अजी इन से मिलो
ये है परेशानी
बीन बुलाई आजाती
दस्तक दिये बिना
पल पल सताती
कभी महंगाई है
कभी दिलरुबाइ
तो कभी बेवफई
सजनी रूसवाई
जीवन की साचाई
नोटों की गहराई
कभी वो पराई
कभी मुहँ देखाई
ये है परेशानी
बीन बुलाई आजाती ...
सरकार परेशानी
शिस्ताचार तो कभी
भ्रस्टाचार है परेशानी
पेशानी मै उभारी
हर लकीर है परेशानी
ये है परेशानी
बीन बुलाई आजाती ...
आज भी रहेगी
ये तो कल भी रहेगी
जीवन का अधि अंत
है ये अपनी परेशानी
परेशानी परेशानी परेशानी
न ख़तम होने वाल किशा है परेशानी
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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