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भ्रस्टाचार की दुकान लगी

भ्रस्टाचार की दुकान लगी

देश मै ऐसी हवा चली
भ्रस्टाचार की दुकान लगी

फिर रहे बाहुबली
इनके आगे एक ना चली

भ्रस्टाचार की दुकान लगी .....

खाकी की पोशक है धनी
आम लोगूँ से कैसे बने

भ्रस्टाचार की दुकान लगी .....

प्रणव सिबल दिग विजय नै दिया साथ
लोक पल बिल का बनया मजाक

भ्रस्टाचार की दुकान लगी .....

अन्ना और बाबा का निकलेगे दम
एक के बाद एक घुटालाऊं फंशयंगे हम

भ्रस्टाचार की दुकान लगी .....

कला पैनसा स्विस बैंक सुरक्षित रहेगा
कैसे ये देश फिर विकषित होगा

भ्रस्टाचार की दुकान लगी .....

आपना ही रहेगा राज और तम
भ्रस्टाचार मै अवल रहेंगे हम

देश मै ऐसी हवा चली
भ्रस्टाचार की दुकान लगी 




बालकृष्ण डी ध्यानी
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