तडपता रहता हूँ मै अक्शर
पहडूं की इस तरह दुर्दशा देखकर
एक चीख निकलती ध्यानी इस दिल से
अपनी इस मूक बेबशी नजारा देखकर
तडपता रहता हूँ मै अक्शर
पहडूं की इस तरह दुर्दशा देखकर
एक चीख निकलती ध्यानी इस दिल से
अपनी इस मूक बेबशी नजारा देखकर
तडपता रहता हूँ मै अक्शर
मै उत्तराखंड आप को बुला रहा हूँ कब आओगे ?
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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