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मै उत्तराखंड आप को बुला रहा हूँ कब आओगे ?

ऊँचा निचा डंडा
स्वर्ग च आकाशा
तेडा मेडा बटा
मेरा गवां का पासा
घुगती घुरण लगी
तू डंडायूँ पार
दुआडी दुआडी यागे
मायर मुल्क बरामाषा
पंतैद्र को ठानदू पाणी
भुजानी मन का प्याशा
ऊँचा निचा डंडा
स्वर्ग च आकाशा
मै उत्तराखंड आप को बुला रहा हूँ कब आओगे ? 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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