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हे बरखा

हे बरखा 

छुटी गे मेरी आश भी 
टूटी गे मेरी बात भी 
ये साल खूब गीरणी बरसात भी 
हे विधात मयारू गडवाल 

सरकी गे सडकी 
बोगैगी पुन्गाडी
गीरणी चाल भी 
लोगु का हुन्या बैहल भी 
हे विधात मयारू गडवाल 

हे म्यार देबत हे बद्री -केदार 
त्यारू च सरुच हे भगवान
कण बदल फटयांण 
कदग लोग मोरयाण छन 
हे विधात मयारू गडवाल 

ये बरस  बरखी बरखा 
रेल पेल कर गयाई
मन्ख्युं हुयी उदास
छणी कुडी गिर ग्याई 
हे विधात मयारू गडवाल 

सब लगणी ध्यै
देहरादुन सरकार बल 
कखक सुग्याई   
अब देबत तु ही भली करे

हे विधात मयारू गडवाल 

छुटी गे मेरी आश भी 
टूटी गे मेरी बात भी 
ये साल खूब गीरणी बरसात भी 
हे विधात मयारू गडवाल 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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