लगदी रासयाँण वा
लगदी रासयाँण वा
म्यार देश की पाछाँण वा
कण बेगरैली बांद वा
दिल लुछी जंद वा
लगदी रासयाँण वा
दात पटी देखी की हास्यंण वा
मुंड थुड़ी जुकंद वा
लटोंला अगनै फैरयंद वा
आँखों मा माया लगण द वा
लगदी रासयाँण वा
नारंगी की दाणी
घगुती सी सांखी
बोरंश का फुल खिला
प्रमिला सी छुंवी
लगदी रासयाँण वा
सब मी थै पुछ द
के गों की होली सी बांद
काणी लास्क्याँ द
चूड़ी पैजण छमणत
लगदी रासयाँण वा
लगदी रासयाँण वा
म्यार देश की पाछाँण वा
कण बेगरैली बांद वा
दिल लुछी जंद वा
लगदी रासयाँण वा
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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