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बोला हरी हरी

बोला हरी हरी 

सब भली भली छ भुलाह बोला हरी हरी 
भुलाह जब भी तु मील दी एक नई कविता बन जंद .बोला हरी हरी 
जब कलम सही हाथ मा ऐ जंद तब बोला हरी हरी 
बड़ी भली , खट्टी मीठी , कविता , लेख , लिखे जन्दन .बोला हरी हरी .
जब देखि की भी यनु ही लगदु बोला हरी हरी 
बद्री केदार धाम बोला हरी हरी 
उत्तराखंड मेरा गाम बोला हरी हरी 
भगवती को थान बोला हरी हरी
माँनंदा को जाता बोला हरी हरी
हरी द्वुवार को द्वुवार बोला हरी हरी
कबी वीलास बोला हरी हरी
दुई हत्णु जोडू हाथ बोला हरी हरी
हाथ की क्या बात बोला हरी हरी 
नेताओं की जात बोला हरी हरी
कमल की शान बोला हरी हरी 
देहरदुन मा ठाट बाट बोला हरी हरी 
जनता का बुरा हल बोला हरी हरी
गैर-सैण का बाट भुलाहा हरी हरी
दुरु की खोली दुकान भुला हरी हरी
नारी यख हैरण भुला हरी हरी
पुग्डी यख बंजा भुला हरी हरी
बरखा की भरमार भुला हरी हरी
सुखा की मारा भुला हरी हरी 
गदयुनु का धारा भला हरी हरी
पाणी चली गे अकाशा भुला हरी हरी
भागीरीथी को देशा भुला हरी हरी 
गंगा बगती जंद भुला हरी हरी
संतों की मठ भुला हरी हरी
टेड मेडा सडकी भुला हरी हरी 
घ्श्यारी गूंजती डंडी भुल हरी हरी
हिमाल की चुटी दीदा हरी हरी
घुघुती घरु दीद हरी हरी 
मैता की खुद दीदा हरी हरी
जीकोडी को डरु दीदा हरी हरी
भैजी नीचे घरु दीदा हरी हरी
परदेस मा म्यरु मन दीदा हरी हरी
खेले बोरंशा दीदा हरी हरी 
प्युओंली केले उदशा दीदा हरी हरी
आणी च बोवारी की याद दीदा हरी हरी
जगार की रात बाड़ा बोला हरी हरी
देवी को मंडण बाड़ा बोला हरी हरी
गों का पधान बाड़ा बोला हरी हरी
बोड़ी मारी हक बाड़ा बोला हरी हरी
ककडी को सगा बाड़ा बोला हरी हरी
चुलह की आगा बाड़ा बोला हरी हरी
माशाणा की रखा बाड़ा बोला हरी हरी
गुओं की याद आणी बाड़ा बोला हरी हरी
कुथीग कु साथ बाड़ा बोला हरी हरी
ये म्यार गद देश की बात बाड़ा बोला हरी हरी
तुम्हर मयारू साथ बाड़ा बोला हरी हरी
बनोला उत्ताराखंड थै भारत की पहचान बाड़ा बोला हरी हरी
सतरा जिलों की बरसात बाड़ा बोला हरी हरी
गैरसैंण हगे गैर बाड़ा बोला हरी हरी
क्रांतीकरीयुं कैर याद बाड़ा बोला हरी हरी
नरेंदर सिंग नेगी जी की गीतों मा नाच बाड़ा बोला हरी हरी
मोतार्चाली गे सारा पंव् पंव् बाड़ा बोला हरी हरी
मी छु गड्वाली भुलाह बाड़ा बोला हरी हरी
ये मेरा उत्तरखंड बाड़ा बोला हरी हरी
सब भली भली छ भुलाह बोला हरी हरी 
भुलाह जब भी तु मील दी एक नई कविता बन जंद .बोला हरी हरी 
जब कलम सही हाथ मा ऐ जंद तब बोला हरी हरी 
बड़ी भली , खट्टी मीठी , कविता , लेख , लिखे जन्दन .बोला हरी हरी .
जब देखि की भी यनु ही लगदु बोला हरी हरी 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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