जय माँ गंगे बगाती जा
ऊँचा निचा दंडयूँ
थै उतरती जा
ये कैलाश पर मचलती जा
ये गंगे तू बगाती जा
सबका पापु थै हरती जा
मनख्यूं से तरती जा
हे गंगे ……………………………
शुभ्र धार तू कल्याणी माँ
तेरी गाथा बहुँत पुरानी माँ
तू भागीरथी उतराणी माँ
शिव जाटा पर वीराजमणी माँ
हे गंगे ……………………………
इन्द्र लोक से आयी माँ
इस विश्व मे समाई माँ
तू मोक्ष तरणी माई माँ
तेरी गाथा ऋषि-मुनि नै गयी माँ
हे गंगे ……………………………
कीतने तन मेरा तट आये
अपने मन के वो पाप बाहाये
मेरी भूमी पवन कहलाये
हर हर गंगे गूंज लगये
हे गंगे ……………………………
ऊँचा निचा दंडयूँ
थै उतरती जा
ये कैलाश पर मचलती जा
ये गंगे तू बगाती जा
सबका पापु थै हरती जा
मनख्यूं से तरती जा
हे गंगे ………………………...
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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