आज भी मन उधास है
आज भी मन उधास है
कोई नहीं साथ अकेले चला जा रहा हूँ
मंजील आपनी मै क्या खो रहा हूँ
गैर सैण के मुदे पर जन कीतना गुम
उनकी इस गुम मै गुमसुदा सा माहसुस कर रहा हूँ
आगया ओ भी मंजर
जब चलेंगे ये सै खंजर
तू भी फीकर मात कर
दूर खड़ा तमाशगीन सा
खड़ रहा अपने खवाबों सै जुड़ रहा
देश सै तू जुदा रहा
एक दिन आएगा येसा
उस दिन मै जाउंगा
उस दिल को छु कर
तेरे भी मुख सै आयेगी ये आवज़
इन्कलाब जिंदाबाद इन्कलाब जिंदाबाद
वन्देमातरम वन्देमातरम
आज भी मन उधास है
कोई नहीं साथ अकेले चला जा रहा हूँ
मंजील आपनी मै क्या खो रहा हूँ
गैर सैण के मुदे पर जन कीतना गुम
उनकी इस गुम मै गुमसुदा सा माहसुस कर रहा हूँ
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
कवी बालकृष्ण डी ध्यानी
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