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चल कुथीग जुँला

चल कुथीग जुँला

चल कुथीग चल कुथीग
भूली चल कुथीग जुँला
कुथीग जा के चरखी बैठी ओंला 
पीन्गाली पीन्गाली हे..........रे......... सखी 
जेलाबी खाई ओंला 
कुथीग देख चैहल पैहल
कंण सरर र र कुथीग जांदा ………ये बांद 


छम छम छमणता 
तेरी नथुली छमणता 
गड गड गडगडत 
तेरी गीचुडी गडगडत 
दड दड दड पडत 
तेरी खटुली दड पडत 
कुथीग देख चैहल पैहल 
कंण सरर र र कुथीग जांदा ………ये बांद 


कुथीग देख चैहल पैहल 
म्यार मुल्की देख रेल पेल
दो गाती को छु ये खेल 
भगवती को चारणु चडण तेल 
कुथीग देख चैहल पैहल
कंण सरर र र कुथीग जांदा ………ये बांद 



खण खण खण-खणत 
चुदी लाल खण-खणत 
छाण छाण छाण-छाणत 
पायल पैर की छाण-छाणत 
कुथीग रोनक लगी जाणद 
नौंन बुड्या जावाण खुअली जांदा
कुथीग देख चैहल पैहल 
कंण सरर र र कुथीग जांदा ………ये बांद 


डोला सफा खूब हीलंदा 
पतली कमरी लास्कंद 
दिल जावनु का लुछी जांदा 
भवंर बनके भार-भारंद 
फूलों थै खूब खीचंद 
कुथीग देख चैहल पैहल 
कंण सरर र र कुथीग जांदा ………ये बांद 

चल भूली चल भूली
घरी चली जुँला
अपर टैम मा डेरा पूंछी जुँला
कुथीग की छुयीं 
सब थै बतोला 
माँ को प्रसाद बांटी देउन्ला 
चल भूली चल भूली
घरी चली जुँला
कुथीग देख चैहल पैहल 
कंण सरर र र घार जांदा ………ये बांद 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ 
मेरा ब्लोग्स 
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

कवी बालकृष्ण डी ध्यानी 
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